सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने एयरलाइन को राहत देते हुए कपैसिटी की 80 फीसदी तक इस्तेमाल करने की इजाजत दी है. इसके अलावा किराया भी बढ़ाने का फैसला किया गया है. लॉकडाउन के बाद जब हवाई सेवा शुरू हुई थी तब अलग-अलग रूट के लिए किराया फिक्स किया गया था. अब मिनिमम किराया को 10 फीसदी और मैक्सिमम किराया को 30 फीसदी तक बढ़ाया गया है. यह नियम 31 मार्च 2021 तक लागू रहेगा.
कोरोना के बाद जब डमेस्टिक एयर सर्विस की शुरुआत हुई थी तब यात्रा में लगने वाले समय के आधार पर पूरे देश के रूट को 7 कैटिगरीज में बांटा गया था. हर कैटिगरीज के लिए मिनिमम और मैक्सिमम किराया फिक्स किया गया था. एविएशन मिनिस्ट्री ने इसी के मिनिमम किराए को 10 फीसदी और मैक्सिमम किराए को 30 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है. पुराने नियम के मुताबिक, दिल्ली-मुंबई रूट पर मिनिमम किराया 3500 रुपए और मैक्सिमम किराया 10 हजार रुपए था. अब यह 3900 रुपए और 13000 रुपए हो गया है.
यह किराया इकोनॉमी क्लास के लिए है साथ ही इसमें यूजर्स डेवलपमेंट फीस, पैसेंजर सिक्यॉरिटी फीस और जीएसटी शामिल नहीं है. एविएशन मिनिस्ट्री ने मई 2020 में डमेस्टिक एयर सर्विस की इजाजत दी थी. उसी समय पूरे रूट को सात कैटिगरीज में बांट दिया गया था. वर्तमान में सभी एयरलाइन को 20 फीसदी सीटें औसत किराया ( मिनिमम और मैक्सिमम के ऐवरेज) से कम पर बेचनी होती हैं.
- पहला कैटिगरी 40 मिनट तक की हवाई यात्रा का है. अब इसका प्राइस बैंड 2200-7800 रुपए हो गया है.
- दूसरा कैटिगरी 40-60 मिनट का है. इसके लिए प्राइस बैंड अब 2800-9800 रुपए हो गया है.
- तीसरा कैटिगरी 60-90 मिनट का है. इसके लिए प्राइस बैंड अब 3300-11700 रुपए हो गया है.
- चौथा कैटिगरी 90-120 मिनट का है. इसके लिए प्राइस बैंड 3900-13000 रुपए का हो गया है.
- पांचवां कैटिगरी 120-150 मिनट का है. इसके लिए प्राइस बैंड 5000-16900 रुपए का हो गया है.
- छठा कैटिगरी 150-180 मिनट का है. इसके लिए प्राइस बैंड 6100 से 20400 रुपए का है.
- आठवां कैटिगरी 180-210 मिनट का कहै. इसके लिए प्राइस बैंड 7200-24200 रुपए का है.
दो महीने तक पूरी तरह ठप रही थी एयरलाइन
25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन की घोणषा की गई थी. 25 मई 2020 तक दो महीने के लिए हवाई सेवा पूरी तरह ठप रही. सबसे पहले एक तिहाई विमानों को उड़ान की इजाजत मिली. दिसंबर 2020 में यह बढ़ाकर 80 फीसदी तक कर दिया गया था. एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने संसद में कहा था कि कुछ एयरलाइन कंपनियां चाहती हैं कि 100 फीसदी कपैसिटी का इस्तेमाल हो, कुछ कंपनियां चाहती हैं कि इसमें धीरे-धीरे तेजी आनी चाहिए.